आज की कक्षा में हम लोगों ने पुनः एक बार पिछली कक्षा में पढाया गए वर्णों और व्यंजनों के उच्चारण का पुनाराभ्यास किया. उसके बाद नए व्यंजनों के उच्चारण का भी अभ्यास किया. फिर ३० मिनिट्स के बाद हिंदी के कुछ वाक्यों के बोलने का अभ्यास किया. बच्चे रोमन लिपि में लिखे हुए हिंदी के वाक्यों का सहजता से उच्चारण कर पा रहे हैं. परन्तु रोमन लिपि कि जगह हिंदी में लिखे हुए वाक्यों को हम अपनी अगले सत्र की हिंदी कक्षाओं में सिखायेंगे. तब यह सुगमता पूर्वक समझाया जा सकेगा. बाद में बच्चों को घर पर कुछ अभ्यास करने को कहा गया है. अगली कुछ कक्षाओं में हम अब इन्ही वर्णमाला की वर्णों के उच्चारण का अभ्यास करेंगे और साथ में पहले से दी हुई रोमन लिपि में हिंदी के नए वाक्यों के उच्चारण का अभ्यास करेंगे. हमारा प्रयास है की बच्चे हिंदी कक्षाओं का अगला सत्र हिंदी बोलने से आरम्भ करें और हिंदी में ही बच्चों को वाक्यों के लिखने और पढ़ने हेतु समर्थ कर सकें. इसके पश्चात छोटे से एक ब्रेक के बाद हम सब ने मिल कर बच्चों के साथ कुछ खेल खेले और हमेशा की तरह गायत्री महा मंत्र के साथ सत्र का समापन किया.
अगले सप्तांत से मैं कुछ दिनों के अवकाश पर भारत प्रवास हेतु जा रहा हूँ. संभवतः ५ दिसम्बर तक में वापस ब्रिटेन आ जाऊँगा. उसके पश्चात ही मैं अब हिंदी कक्षाओं में भागीदार बन सकूँगा. तब तक मेरे सहयोगी श्री रवि जी पर इन कक्षाओं की जिम्मेदारी है और मुझे पूरा विश्वास है की रवि जी कुछ अभिभावकों की सहायता से हमारी इन हिंदी कक्षाओं को नियमित रूप से करवा सकेंगे. में व्यक्तिगत रूप से रवि जी और सभी अभिभावकों का उनके इस प्रयास के लिए अभिनन्दन करता हूँ और धन्यवाद भी प्रेषित करता हूँ.
और हाँ इसका अर्थ यह भी हुआ कि अब मैं यह अपना ब्लॉग ५ दिसम्बर दिन रविवार के बाद ही अपडेट कर पाऊंगा. इसलिए क्षमा प्रार्थी भी हूँ. परन्तु जैसा मैंने ऊपर कहा है कि हमारी अगली कुछ कक्षाओं में हिंदी वर्णों और रोमन लिपि में लिखे हुए वाक्यों का बच्चों को अभ्यास कराया जायेगा.
धन्यवाद और शुभम.....