Sunday 23 October 2011

पांचवी कक्षा दिनांक २३ अक्टूबर २०११

आज की कक्षा पुनः मैंने ली और हमेशा की भांति एकात्मता मंत्र के साथ कक्षा का आरम्भ किया.
कक्षा का आरम्भ "मेरा नाम क्या है " जैसे वाक्य से की गयी. बच्चों को बड़ा अच्छा लगा अपना अपना नाम बताने में. आपको याद होगा की हमने अपनी तृतीय कक्षा में बच्चों को घर पर इस वाक्य का अभ्यास करके आने को कहा था और जैसा मेरा अनुमान था की जिन बच्चों ने अभ्यास किया था उनकी समझ में तो आया परन्तु शायद उन बच्चों को जरूर बोरियत हुई होगी जो या तो उस कक्षा में नहीं थे या फिर अभ्यास नहीं कर पाए.
परन्तु शायद इसीलिए कक्षा में अध्यापकों की आवश्यकता है की वे पुनः अभ्यास कराएँ. और वैसा ही हम ने भी किया. एक बार फिर से बच्चों को वाक्यों की रचना करना सिखाया और उसके बीच बीच में शब्दों की रचना का भी अभ्यास किया. इसके पश्च्यात हम लोगों ने कुछ वाक्यों को लिखने का भी अभ्यास किया. यह वाक्यों की रचना हम आगे भी जारी रखेंगे और हमारी कोशिश रहेगी की इन वाक्यों से कुछ अर्थपूर्ण नैतिक ज्ञान बच्चों को इस सत्र की अंत, यानी कि जनवरी माह तक  सिखा सकें.
इस प्रकार से हमने अभी तक इतना तो कर ही लिया है....
                        एकात्मता मंत्र और गायत्री मंत्र का अभ्यास
                        वर्णाक्षरों का अभ्यास और दो-तीन अक्षरों से बनाने वाले शब्दों की रचना
                        हिंदी वाक्यों की रचना और पूर्ण विराम का परिचय;
                        संज्ञा और सर्वनाम

अपनी अगली कक्षा में हम संज्ञा और सर्वनाम का पुनः अभ्यास करेंगे और हिंदी भाषा के कुछ अन्य पहलू पढेगे. हमारी सहयोगी रीता जी ने कुछ सूचनाएं बच्चों को दी हैं. जैसे दीपावली के शुभ अवसर पर हमारी हिंदी कक्षा अगले सप्ताहांत नहीं लगेगी और अगली हिंदी कक्षा अब ६ नवम्बर को होगी.
आज कुछ नए बच्चे भी कक्षा में दिखे और सभी ने बड़े ख़ुशी के साथ कक्षा में भाग लिया. हिंदी कक्षा के अपने इस सत्र में हम लोग हिंदी - एक बोल चाल की भाषा के रूप में ले रहे हैं और इसलिए बच्चों को कक्षा में बहुत नहीं लिखना होता है.बच्चे इससे बहुत खुश हैं और एक बच्ची ने तो कहा की "पहले हम बहुत लिखते थे और अब बहुत पढ़ते हैं".अब अगली कक्षा, याद रहे जो ०६ नवम्बर को है, की जिम्मेदारी रीता जी की है.
सभी को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
शेष फिर.अपने विचार भेजते रहें. धन्यवाद 

एक विचार

कुछ समय पहले भारत का एक समाचार सुना की क्रिकेट की दुनिया के सितारे श्री सचिन तेंदुलकर अपने नए घर में शिफ्ट हो गए. बहुत अच्छा लगा कि श्री सचिन ने अन्य भारतीय बंधुओं कि ही भांति अपना घर पा लिया और इसके लिए उन्हें शत शत बधाई.
परन्तु बिना किसी किन्तु-परन्तु के मैं अपना कोई भी लेख नहीं लिख सकता और यहाँ पर भी मुझे सामंतवादी मानसिकता की बू सी आ रही है. हम भारतीय आज भी इन्हीं समाचाओं में रूचि लेते हैं कि दुनिया के एक विकास शील देश के कुछ नागरिक, या यूँ कहें कि कुछ ख़ास नागरिक, जब अपनी महत्वकान्शाओं का प्रदर्शन करते है तो हम सभी,  पत्रकार बंधू भी, उसे बड़ा चढ़ा कर दिखा करके देश  कि गरीब और ६० साल के आज़ादी की लूट में अपने को ढगा हुआ महसूस करवाते हैं. वो चाहे बोलीवूड  के सितारे हों या फिर खेल और व्यवसाय से जुड़े हुए विशेष नागरिक. यदा कदा उनके व्यर्थ के धन प्रदर्शन का समाचार सुनने को मिल ही जाता है.
इसे एक दुर्भाग्य ही कहें की हमें यह सुनने को नहीं मिलता कि अभी कुछ समय पहले ही यूरोप के कुछ पूंजी पतियों ने यहाँ की सरकारों से यह निवेदन किया था कि उनका आय कर ज्यादा कर दिया जाये ताकि वे आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने देश  कि सेवा  कर सकें. हम उससे कुछ शिक्षा ही लेने का प्रयास करें.
हमारे पत्रकार बंधुओं को क्या समाचाओं का इतना अकाल पड़ गया है कि जब तब वे इस प्रकार के समाचारों से देश की गरीब और दुखी मानस को और दुःख देते हैं और उन्हें उनके अपने ही अस्तित्व पर ही प्रश्न मार्क लगाने के लिए विवश करते हैं. साथ ही मैं बड़ी ही विनम्रता से पूछना चाहता हूँ कि क्या इन ख़ास नागरिकों को भारत की गरीबी दिखायी नहीं देती या फिर यह अपनी ऑंखें उस शुतुरमुर्ग की तरह बंद रखते हैं जो सुब कुछ होते हुए भी कुछ देखना नहीं चाहता है?

आंखिर इस संसार में एक मनुष्य को अपने परिवार के साथ रहने के लिए कितना स्थान चाहिए ?
यह  प्रश्न  मैं  आपके  लिए  छोड़े  जाता  हूँ परन्तु याद रहे की एक सादे अनुमान के अनुसार भारत के १२० करोड़ भाईओं, बहनों और बच्चों में से लगभग आज भी ४० प्रतिशत लोग गरीबी में रहने को विवश हैं.

Monday 10 October 2011

तृतीय कक्षा : ०९ अक्टूबर २०११

नमस्ते, अपनी दूसरी और तीसरी कक्षा से हम लोगों ने विधिवत कक्षा शुरू कर दी है. अपनी इस कक्षा की जिम्मेदारी मेरी थे और मैंने कक्षा का प्रारंभ एकात्मता मंत्र के अभ्यास और कक्षा का समापन गायत्री महामंत्र से करवाया.
हिंदी में आज सभी बच्चों ने हिंदी वर्णमाला का मिलकर ऊँची आवाज में उच्चारण किया, फिर दो और तीन वर्णों को मिला कर शब्दों को बनाने का अभ्यास करवाया गया जैसे  जल , फल , कलम , कदम   इत्यादि  अंत में उन शब्दों को मिला कर अपना परिचय करना सिखाया गया.  बच्चों को गृह कार्य एक वाक्य पूरा (अपने परिचय का) लिख कर लाने को कहा गया है जैसे "मेरा नाम अनुराग है" . और हाँ अभिभावकों को गृह कार्य करने में कोई मद्दत नहीं करनी है बल्कि वे केवल बच्चों को गृह कार्य करने हेतु प्रेरित कर सकते हैं. विशेष बात यह रही कि आज बच्चों ने सब मौखिक अभ्यास किया और कुछ भी उन्हें लिखने कि आवश्यकता नहीं थी.  अपनी अगली कक्षा में हम वर्ण, शब्द और वाक्यों का ही मौखिक अभ्यास करेंगे.
और आज की सूचना में बच्चों से पूछा गया है कि वे अपने अभिभावकों से अनुमति ले कर आये यदि वे दीपावली उत्सव में भाग लेना चाहते हैं. आपकी जानकारी के लिए अपनी हिंदी कक्षा इस बार दीपावली पर कुछ कार्यक्रम में भाग लेने की सोच रही है सब कुछ निर्भर करेगे अभिभावक बच्चों को कितना प्रोत्साहित करते हैं..
अपनी अगली कक्षा की जिम्मेदारी नीता जी की है और आशा है बच्चों इन कक्षाओं का आनंद ले रहे होंगे. कृपया अपने सुझाव देते रहें. धन्यवाद