Sunday 24 October 2010

बारहवी कक्षा

बारहवी कक्षा : दिनांक २४ अक्टूबर २०१० दिन रविवार

आज सबसे पहले बच्चों को कक्षा में होने वाले कार्यकलाप के बारे में बताया गया. फिर बच्चों की परीक्षा ली गयी. इस परीक्षा का उद्देश्य बच्चों का अभी तक के अभ्यास को परखना था. बच्चो को केवल कक्षा की उच्चारण सूचिका से रोमन लिपि में लिखे हुए शब्दों को पहचान कर लिखना था. ५ से ८ साल के बच्चों का खुली पुस्तक के आधार पर परीक्षा ली गयी और ८ से १२ साल तक के बच्चों का बिना पुस्तक की परीक्षा ली गयी.यह परीक्षा ३० मिनट की थी और बच्चों ने उत्साहपूर्वक इसमें भाग लिया.परीक्षा के अंत में कुछ वर्णों, जैसे श, ष, स, ह की प्रैक्टिस शीट दी गयी. बच्चों को इन वर्णों के लिखने का घर पर अभ्यास करना होगा. इसी के साथ  बच्चों को बड़े आकर की शीट में सम्पूर्ण हिंदी वर्णमाला भी दी गयी है. बच्चे इसे अपने घर पर दीवार पर चस्पा कर के ज्यादा और लगातार अभ्यास कर सकते हैं.
                    परीक्षा के बाद बच्चों को अगली कक्षा में होने वाली विषय "मात्राओं" के बारे में संक्षेप में बताया गया. वर्णों के अभ्यास के बाद अगली कक्षा में हम मात्राओं पर ध्यान देंगे. आज से हमारी कक्षा में व्यकल्पिक अध्यापक की व्यवस्था हो गयी है. उनका नाम श्री रवि जी है और उनकी बेटी भी कक्षा में पड़ती है. रवि जी कुछ कक्षाओं में अभी अभ्यास कर के फिर कक्षा लेंगे.
                    
आज की कक्षा का अंत सभी के संक्षिप्त परिचय के साथ हुआ. और साथ में कुछ अभिभावकों  ने बच्चों को आने वाली हिन्दू उत्सव दीपावली के महत्त्व पर शैक्षिक ज्ञान दिया. अगले सप्ताहांत बच्चों को विशिष्ट परिवेश में आने को कहा गया है क्योंकि कक्षा में हम लोग फैंसी ड्रेस का आयोजन कर रहे हैं. इस अवसर पर बच्चों को हिन्दू महा काव्य "राम चरित मानस" के खराब चरित्रों, जैसे रावन, सूर्पनखा इत्यादि, के परिवेश में आना है. इसका कारण यह है की उसके अगले सप्ताह Halloween और दीपावली उत्सव है और इस फैंसी ड्रेस कार्यक्रम के द्वारा हम कक्षा में बच्चों को इन उत्सवों का महत्त्व पढ़ाएंगे. साथ में उन ख़राब चरित्रों के नाम भी लिखना बताएँगे. आशा है बच्चे इस उत्सव और अगली कक्षा का सप्ताहांत में आनंद उठायेंगे.

Sunday 17 October 2010

हिंदी भाषा का इतिहास - IV : लिपि

लिपि (Script) एक प्रकार से कुछ संकेतों का बंडल है जिसका उपर्युक्त प्रयोग लेखन क्रिया (Writing System) में किया जाता है. दूसरे शब्दों में श्रव्य ध्वनियों (भाषा) को द्रश्य रूप देने वाली प्रतीक व्यवस्था लिपि कहलाती है.
    वास्तव में भाषा के बाद मनुष्य का श्रेष्ठ अविष्कार लेखन ही है. आज संसार में लगभग चार सौ से अधिक लिपियाँ हैं और सभी अपनी अपनी लिपि को ही प्राचीन, महत्वपूर्ण, पूर्ण और ईश्वर निर्मित ही के कारण पवित्रतम मानते हैं. अपने यहाँ जैसे लिपि की निर्माता ब्रह्मा जी माने गए हैं. अत: भाषा की ही भांति लिपि का इतिहास भी अनुमाश्रित ही है परन्तु आदि काल में मनुष्य को कुछ न कुछ लेखन कला जरूर आती थी. उद्धरण के लिए हनुमान जी ने सीता जी को मनोहर राम-नाम अंकित मुद्रिका दिखाई थी. सीता जी ने राम की लिखाई पहचान ली होगी तभी वानर पर विश्वास किया.
इसके अतिरिक्त पंडित राजबली पांडेय जी ने इंडियन पेलिओग्राफी में एवं अनन्य में भरा में लिपि-विकास का सविस्तार वर्णन किया है. जिसका सार-संक्षेप यों है :
-- ह्वेनसांग (६३०-६४४ इ) भारत से लगभग ६५० पुस्तकें लादकर ले गया था जिसको लिखने में कई शताब्दियाँ लगी होंगी.
-- इंडिका में मेगस्थनीस (चौथी शताब्दी इ. पूर्व) गवाह हैं की यहाँ प्रस्तर फलकों पर खोदकर लिखा जाता था और जन्मपत्रियाँ बनाई जाती थीं.
-तीसरी शताब्दी ई पूर्व के अशोक के दसियों स्तम्भ लेख और शिलालेख उपलब्ध हैं जो भारत की लेखन कला के जीते जागते प्रमाण हैं.
-वैदिक साहित्य विश्व का प्राचीनतम साहित्य है जो आज भी यथावत रूप में उपलब्ध है. लिपि के अभाव में उसे इतनी उम्र नहीं मिल सकती थी.
-ऋग्वेद (६ / ५३ / ७) में आरिख पद मिलता है जो आलेख अर्थात लिपि का ही अपर नाम है.
        इसके अतिरिक्त लौकिक साहित्य में भी कम संकेत नहीं. रामायण में, जैसा पूर्व में कहा गया कि अंगूठी राम-नाम से अंकित थी -  "रामनामांकित चेदं पश्य देव्यंगुलीयकम"
समग्र वाड्मय को देखने से पता चलता है कि प्राचीन भारत में मुख्यतया तीन लिपियाँ प्रचलन में थीं
(i) सैन्धव लिपि
    १८५६ में जनरल कनिघम ने हड़प्पा कि यात्रा के दौरान सिन्धु - लिपि में लिखी कुछ मुहरें प्राप्त की थीं)
(ii) ब्राह्मी लिपि
    यह भारतवर्ष के आर्यों का अपनी खोज से उत्पन्न किया हुआ मौलिक आविष्कार है इसकी प्राचीनता और सर्वांगसुन्दरता के कारण इसके कर्ता ब्रह्मा जी को माना गया है और इसीलिए यह ब्राह्मी लिपि कहलाई. ई0 पूर्व पांचवी शताब्दी से नौ सौ वर्षों तक प्राप्त भारतीय शिलालेख बाएं ओर से दायें ओर लिखी जाने वाली ब्राह्मी लिपि ही है.
(iii) खरोष्टि लिपि
    ब्राह्मी लिपि के साथ साथ खरोष्टि लिपि भी भारत की प्राचीनतम लिपि है. इ पूर्व तीसरी शताब्दी में भारत के उत्तर पूर्व सीमान्त प्रान्त के आस पास यह गंधार प्रदेश में प्रचलित थी
                      देव नागरी अथवा नागरी लिपि भारत की प्राचीन लिपि ब्राह्मी की ही सर्वश्रेष्ठ संतान है. जिसमे आज संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि भाषाएँ लिखी जा रही हैं और जिनका उपयोग दिन-ब-दिन बढता ही जा रहा है. "नागरी अंक और अक्षर एवम भारतीय प्राचीन लिपिमाला"  में ओझा जी लिखते हैं
"जिनको प्राचीन लिपियों का परिचय नहीं है, वे सहसा यह स्वीकार नहीं करेंगे की हमारे देश की नागरी, शारदा, गुरुमुखी, बंगला, उड़िया, तेलुगु, कन्नड़, तमिल, आदि समस्त लिपियाँ एक ही मूल लिपि ब्राहमी से निकली हैं"

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सहायक ग्रन्थ सूची :

हिंदी साहित्य का संछिप्त इतिहास - NCERT - कक्षा १२
हिंदी सही लिखिए : डॉ रामरजपाल द्विवेदी
नागरी अंक और अक्षर एवं भारतीय प्राचीन लिपि माला : ओझा
इंडियन पेलिओग्राफी : ए एच दानी
इंडियन पेलिओग्राफी : डॉ राजबली पांडेय
इन्टरनेट : 
http://www.hindubooks.org/david_frawley/myth_aryan_invasion/indus_writing/indus_writing.htm(21 Sept 2010)

Sunday 10 October 2010

ग्यारहवी कक्षा

ग्यारहवी कक्षा : दिनांक १० दिसम्बर २०१०, दिन रविवार

आज की कक्षा की शुरुवात एक नैतिक कहानी से हुई और बच्चों को हिंदी सीखने के लिए निरत प्रयास के महत्त्व पर शिक्षा दी गयी. फिर मैंने बच्चों को दो वर्णों को जोड़कर शब्द बनाने का अभ्यास कराया. यह अभ्यास , मेरी दृष्टी से, हिंदी सीखने की दिशा में एक कठिन मगर महत्वपूर्ण कड़ी है. परन्तु मुझे बड़ी ख़ुशी हुई जब ज्यादातर बच्चों ने अधिकतर दो वर्णों के शब्दों का बहुत ही सुन्दर उच्चारण किया. कुछ बच्चों का उच्चारण तो बहुत ही स्पष्ट था. एक छोटे से ब्रेक के बाद बच्चों ने व और श केवल दो वर्णों के लेखन और उच्चारण का अभ्यास किया. अंत में बच्चों ने दो खेलों को खूब जोश से खेला. शिक्षा का समापन गायत्री महामंत्र के साथ हुआ और हम सब ने मिल कर तीन बार साथ में गायत्री महामंत्र का उच्चारण किया.
आजकल कम्युनिटी सेंटर में नवरात्र का उत्सव होने के कारण लोगों का बहुत आना जाना होता है और इसलिए कभी कभी कक्षा में व्यवधान भी पड़ता है. हमें आशा है कि यह व्यवधान नवरात्र उत्सव के साथ ही समाप्त हो जायेगा. 
अगले सप्ताहांत (१७ अक्टूबर को) अभिभावक और अध्यापक बैठक है और इसमें हिंदी सिखाने के लिए कैसे सब मिलकर काम करें इस पर चर्चा होनी है.  बैठक का समय प्रातः १०:०० बजे से ११:०० बजे तक है. अत: अगले सप्ताहांत हिंदी कक्षा नहीं होगी.

हमारी अगली कक्षा २४ अक्टूबर दिन रविवार को है इस दिन बच्चों की एक छोटी से परीक्षा ली जाएगी और देखेंगे कि बच्चों ने कितना सीखा है. यह परीक्षा हिंदी के वर्णों को पहचानने पर आधारित होगी.यह ४५ मिनट की परीक्षा है इसका समय १० बजे से १०:४५ है. (परीक्षा के बाद) २४ अक्टूबर की कक्षा में तीन और चार वर्णों को जोड़कर शब्दों का अभ्यास भी  कराया जायेगा.
आप सभी को देवी नवरात्र उत्सव पर बहुत सारी शुभकामनाएं.शेष फिर अगली कक्षा में बाद.
धन्यवाद.

Monday 4 October 2010

दसवी कक्षा

दसवी कक्षा : दिनांक ०३ अक्टूबर २०१० दिन रविवार

आज से कक्षा में थोडा बदलाव किया गया. जैसा मैंने पहले कहा था कि एक अध्यापक होने के नाते यह हमारा उत्तरदायित्व है कि बच्चों कि रूचि हिंदी सीखने में बनी रहे वर्ना किसी भी कक्षा का कोई महत्व नहीं है इसलिए आज से कक्षा में लगभग २० मिनट के खेल को भी शामिल कर लिया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि बच्चों के साथ अब मैं भी २० मिनट तक कुछ शारीरिक व्यायाम कर सकूँगा.
आज थोडा कम वर्ण हो सके और हम केवल तीन वर्णों य, र, ल के उच्चारण और लेखन का ही अभ्यास करवा सके. हमारी कोशिश रहेगी कि अगले तीन कक्षाओं में हम बाकी बचे हुए ९ व्यंजनों का अभ्यास करवा सकें (व, प, श, ष, स, ह, क्ष त्र ज्ञ). बच्चों कि संख्या भी आज करीब १८ के लगभग हो गयी थी और कक्षा भरी भरी से लग रहीथी. १० मिनट के एक छोटे से ब्रेक के बाद हमने दो वर्णों को जोड़कर शब्द बनाने का एक छोटा सा परिचय दिया.
अगली कक्षा में हम अब बचे हुए वर्णों के साथ शब्दों को बनाने का अभ्यास करेंगे. आशा है आपको यह लेखन अर्थपूर्ण लग रहा होगा. कृपया अपने विचार प्रेषित करते रहें.
धन्यवाद.