Monday 8 April 2013

हिंदी भाषा का इतिहास : हिंदी साहित्य का काल विभाजन - I

 आज हम हिंदी साहित्य के इतिहास पर चर्चा करेंगे। हिंदी साहित्य के इतिहास का प्रारंभ संभवतः तब हुआ होगा जब हिंदी में रचनाएँ प्रारंभ हुई होंगी। भाषा का प्रवाह धारा के प्रवाह की भांति नहीं होता और ठोस वस्तुओं की तरह उसका विभाजन संभव नहीं है। परन्तु फिर भी विद्वान मानते हैं की हिंदी साहित्य का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पूर्व मिलने लगता है। हिंदी साहित्य के इतिहास का विभाजन कालक्रम की दृष्टी से चार कालों - आदि, पूर्वमध्य, उत्तरमध्य और आधुनिक में किया जाता है।

पंडित रामचंद्र शुक्ल ने काल क्रम से विभाजित इस काल खंडो का नामकरण इसप्रकार किया है - आदिकाल को अपभ्रंश काव्य और देश भाषा काव्य में विभाजित करके देश भाषा काव्य को 'वीरगाथा' नाम दिया। अपभ्रंश काल में जैन, सिद्धों और नाथ कवियों द्वारा लिखित सामग्री को वे साहित्य की कोटि में रखने को तेंयार नहीं थे। उनके अनुसार देश भाषा काव्य की वीरगाथात्मता ही समूचे आदिकाल की प्रधान साहित्यिक प्रवृति हैं। इसलिए वि आदिकाल को 'वीरगाथाकाल' कहना उचित समझते थे। पूर्वमध्य काल को वे 'भक्तिकाल' और उत्तम काल को वे 'रीतिकाल' कहते हैं। आधुनिक काल को वे 'ग़द्दकाल' कहना उचित समझते हैं। शुक्ल जी द्वारा किया गया हिंदी साहित्य के इतिहास का नाम करण और काल विभाजन इस प्रकार से है,

आदिकाल   - संवत १०५० से १३७५
पूर्वमध्य काल (भक्तिकाल)  - संवत १३७५ से १७००
उत्तम काल (रीतिकाल) - संवत १७०० से १९००
आधुनिक काल (ग़द्दकाल) - संवत १९०० से ........

अपने आगे की श्रंखला में हम एक एक करके इन कालों की विवेचना करेंगे।
तब तक के लिए आज्ञा  दीजिये। धन्यवाद

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सहायक ग्रन्थ सूची :
हिंदी साहित्य का संछिप्त इतिहास - NCERT - कक्षा १२