Tuesday 21 September 2010

आठवी कक्षा

आठवी कक्षा : दिनांक १९ सितम्बर २०१० दिन रविवार

आज एक संक्षिप्त नैतिक कहानी के साथ कक्षा की शुरुआत हुई.
आज की कक्षा में हमने ७ व्यंजनों त, थ, द, ध, न, प, फ का अभ्यास बच्चों को कराया. आज शुरू से मेरे मन में था की थोडा तेज अभ्यास करेंगे और बच्चों ने भी इसमें सहयोग किया. उनकी गति भी अनुकूल थी थोडा तेज पढ़ने के लिए. परन्तु अंत आते आते मुझे यह अहसास होने लगा था कि कक्षा उत्साह वर्धक नहीं रह गयी और बच्चों का मन अब और अभ्यास में नहीं लग रहा है.  कुछ बच्चे तो इतने स्पष्ट थे कि उन्होंने मुझे कह ही दिया कि अब बस बहुत हो गया और हमें घर जाना है. यह सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा कि बच्चे जो भी होता है वह साफ़ साफ़ कह देते हैं बिना किसी राग लपेट के.
सारांश में यह समझ में आया कि कुछ बच्चे तो बड़ी ही अच्छी गति से सीख रहे हैं परन्तु कुछ बच्चों की सीखने की गति अभी  भी चिंता जनक है. हम शिक्षकों को और साथ में उनके माता - पिता को भी शायद और अभ्यास करना है कि कैसे उन बच्चों के सीखने कि गति को बढाया जा सके.
आज शायद कुछ सम्वादहीनता के कारण टवर्ग वर्णमाला (ट, ठ, ड, ढ, ण) छूट गयी और हमने त, थ इत्यादि  से शुरू करवा दिया. अत: यदि  अगली  कक्षा में टवर्ग वर्णमाला और कुछ और व्यंजन हो सकें तो बहुत ही अच्छा होगा.
कक्षा  का समापन "गायत्री  महामंत्र "के साथ हुआ . आज शायद  कम्युनिटी  सेंटर  में गणपति विसर्जन का कार्यक्रम  था अत:  कक्षा के अंत समय में थोडा कोलाहल  सा  प्रतीत  हो रहा था और बच्चे भी थोडा उलझे हुए से लग रहे थे.
कुल मिलाकर बड़ा आनंद आया बच्चों के साथ उत्कृष्ट समय गुजार कर और उनसे बहुत कुछ सीख कर.अगले सप्ताहांत में कुछ व्यक्तिगत व्यस्तताएं  हैं जिसकी  वजह से में कक्षा में शायद उपस्थित न रह सकूँ.
धन्यवाद

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