Sunday 12 December 2010

उन्नीसवीं कक्षा

उन्नीसवीं कक्षा - दिनांक १० दिसम्बर २०१० दिन रविवार

जैसा मैंने अपने पिछले ब्लॉग में लिखा था कि मैं तीन हफ़्तों के अवकाश में था और इस दौरान मेरे सहयोगी श्री रवि जी और श्रीमती उषा जी ने सोलहवीं, सत्रहवीं और अठारवीं कक्षाओं की बड़ी ही कुशलता पूर्वक जिम्मेदारी उठाई. इन कक्षाओं में मोटा मोटी हिंदी बोलचाल की भाषा के रूप में बच्चों को अभ्यास कराया गया.
                     आज की यानी उन्नीसवीं कक्षा की जिम्मेदारी मेरी थी और मैंने आज बच्चों के साथ हिंदी में १० तक गिनती का अभ्यास किया. उसके बाद एक छोटी से कविता का बच्चों को अभ्यास करवाया. वह कविता मैंने कभी अपने बचपन में सीखी थे और मेरी हिंदी शिक्षा के शुरू के दिनों से आज तक वैसे ही याद है. कविता है .....

                "मछली जल की रानी है
                जीवन उसका पानी है
                हाथ लगाओगे तो डर जाएगी
                बाहर निकालोगे तो मर जाएगी"

अंत में बच्चों ने अगले सप्ताहांत होने वाले कार्यक्रम का अभ्यास किया और गायत्री महा मंत्र का उच्चारण किया. इस प्रकार हिंदी प्राथमिक कक्षाओं के सत्र का  समापन हुआ और बच्चे अगले सप्ताहांत अपने अभिभावकों के लिए छोटा सा कार्यक्रम प्रस्तुत करके बड़े दिन की छुट्टियों पर चले जायेंगे.
                अगले वर्ष जनवरी माह में आशा है हम पुनः मिलेगे और बच्चों के उनके हिंदी ज्ञान और अभ्यास के आधार पर दो गुटों में बाँट कर हिंदी की दो कक्षाएं चलाएंगे. एक में अपनी इसी कक्षा को यानी "हिंदी प्राथमिक शिक्षा" को पढाया जायेगा और दूसरे गुट को हिंदी की अग्रिम कक्षा यानी "हिंदी परिचय कक्षा" में प्रवेश मिलेगा. इस हिंदी कक्षा के कुछ बच्चे मुझे आशा है की अग्रिम कक्षा में निसंदेह प्रवेश पा सकेंगे परन्तु, मुख्यता छोटी उम्र के बच्चों को पुनः प्राथमिक कक्षा में ही और अभ्यास करना होगा. हमारा प्रयास रहेगा की हम कुल मिला कर तीन कक्षाएं चला सकें, प्राथमिक, परिचय और प्रवीण. इन कक्षाओं में प्रवेश बच्चों की हिंदी ज्ञान और क्षमता के अनुसार ही प्रवेश मिल सकेगे और उसके लिए संभवतः हम प्रवेश से पहले एक छोटा सा टेस्ट भी ले सकते हैं. यह सूचना मैं सभी अभिभावकों के लिए प्रेषित करता हूँ जो अपने बच्चों को हिंदी शिक्षा का ज्ञान दिलवाना चाहते हैं यहाँ कार्दिफ्फ़ शहर में.           
                मैं इस ब्लॉग के माध्यम से उन अभिभावकों को भी विशेष धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने अपने प्रयास से सभी बच्चों को अगले सप्ताहांत होने वाले कार्यक्रम के लिए तैयार किया. साथ में सभी अध्यापकों, सहायकों और अभिभावकों को हार्दिक धन्यवाद जिनके सहयोग से हिंदी के इस प्राथमिक सत्र का सफलता पूर्वक सञ्चालन हो सका.
धन्यवाद और शेष फिर.

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